SIR Of Electoral Rolls in Bihar: सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को बिहार में चल रही स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन यानी SIR (सामान्य शब्दों में वोटर लिस्ट वेरिफिकेशन) पर सुनवाई हुई। RJD सांसद मनोज झा की तरफ से पैरवी कर रहे वकील कपिल सिब्बल ने कहा- बिहार की वोटर लिस्ट में 12 जीवित लोगों को मृतक बताया गया है।
चुनाव आयोग की तरफ से सीनियर वकील राकेश द्विवेदी ने कहा, इस प्रकार की एक्सरसाइज में कुछ गलतियां स्वाभाविक थीं। यह दावा करना कि मृतकों को जीवित और जीवित को मृत घोषित किया गया, यह सही किया जा सकता है, क्योंकि यह एक मसौदा था।
सुप्रीम कोर्ट ने कही ये बात | SIR Of Electoral Rolls in Bihar
इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा, तथ्यों और आंकड़ों के साथ तैयार रहें, क्योंकि प्रक्रिया शुरू होने से पहले वोटरों की संख्या, प्रोसेस से पहले और अब मृतकों की संख्या समेत अन्य कई सवाल उठेंगे।
आधार नागरिकता का पक्का सबूत नहीं- SC | SIR Of Electoral Rolls in Bihar
इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को भारतीय चुनाव आयोग के इस विचार का समर्थन किया कि आधार को नागरिकता का निर्णायक प्रमाण नहीं माना जाना चाहिए, और कहा कि इसका स्वतंत्र रूप से सत्यापन किया जाना चाहिए।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ बिहार मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) से संबंधित याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी। न्यायमूर्ति कांत ने याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश हुए वकील कपिल सिब्बल से कहा, ‘चुनाव आयोग का यह कहना सही है कि आधार को नागरिकता के निर्णायक प्रमाण के रूप में स्वीकार नहीं किया जा सकता। इसका सत्यापन किया जाना चाहिए।’
इससे पहले भी हुई थी सुनवाई | SIR Of Electoral Rolls in Bihar
इससे पहले 29 जुलाई को सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा था कि अगर बड़े पैमाने पर वोटर्स के नाम कटे हैं, तो हम हस्तक्षेप करेंगे। SIR को चुनौती देने वाले याचिकाकर्ताओं का कहना है कि 65 लाख मतदाताओं के नाम काटे जा रहे हैं। कहा जा रहा है कि इनमें से कुछ अपना घर छोड़कर कहीं और चले गए हैं, कुछ मर गए हैं।