नई दिल्ली/लखनऊ: संसद के मानसून सत्र में S.I.R पर बहस लेकर विपक्ष का प्रदर्शन जारी है। अब समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव से लेकर कांग्रेस सांसद इमरान मसूद, और मनोज झा समेत तमाम पार्टियों के बड़े विपक्षी नेताओं ने सदन के बाहर एकत्र होकर S.I.R के खिलाफ प्रदर्शन किया।
सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया अकाउंट ‘X’ पर पोस्ट करते हुए कहा, ‘भाजपा S.I.R को लागू करके संविधान का ही विरोध कर रही है। जबकि हमारे द्वारा S.I.R का विरोध ‘संविधान’ को ही बचाने की कोशिश है। ये हारती हुई भाजपा की निशानी है। जनता भाजपा के ख़िलाफ़ वोट न डाल सके, इसीलिए वो जनता से वोट देने का अधिकार छीनना चाहती है। वर्चस्ववादी भाजपा की एकतंत्री विचारधारा में चुनाव की अवधारणा है ही नहीं। वहाँ तो मनमर्ज़ी का मनोनयन चलता है। घोर निंदनीय!’
भाजपा S.I.R को लागू करके संविधान का ही विरोध कर रही है। जबकि हमारे द्वारा S.I.R का विरोध ‘संविधान’ को ही बचाने की कोशिश है। ये हारती हुई भाजपा की निशानी है। जनता भाजपा के ख़िलाफ़ वोट न डाल सके, इसीलिए वो जनता से वोट देने का अधिकार छीनना चाहती है।
वर्चस्ववादी भाजपा की एकतंत्री… pic.twitter.com/gSDpJ9KyTC
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) August 6, 2025
कल भी हुआ था हंगामा
इससे पहले गुरुवार सुबह दोनों सदन शुरू होते ही विपक्ष ने बिहार वोटर लिस्ट वेरिफिकेशन मामले पर हंगामा शुरू कर दिया। वहीं, विपक्षी दलों के नेताओं ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला से मांग की है कि नेशनल स्पोर्ट्स गवर्नेंस बिल 2025 और राष्ट्रीय डोपिंग रोधी (संशोधन) विधेयक, 2025 को संयुक्त संसदीय समिति (JPC) को भेजा जाए।
वहीं, राज्यसभा में विपक्ष के नेता और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने उप सभापति हरिवंश नारायण सिंह को लेटर लिखा है। जिसमें उन्होंने राज्यसभा में बिहार SIR पर चर्चा कराने की मांग की है।
बिहार वोटर लिस्ट विवाद– 2.93 करोड़ वोटर्स का वेरिफिकेशन
चुनाव आयोग ने 24 जून को बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव से पहले वोटर लिस्ट की विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) की घोषणा की।
वेरिफिकेशन का काम 25 जून से 26 जुलाई 2025 के बीच होना है। इससे पहले जनवरी 2003 में बिहार में SIR हुआ था।
आयोग के मुताबिक, इसका उद्देश्य मतदाता सूची को अपडेट करना और अवैध मतदाताओं, जैसे विदेशी नागरिकों, मृत व्यक्तियों या स्थानांतरित लोगों को हटाना था।
जरूरी बात: जिन वोटर का S.I.R साल 2003 की प्रक्रिया में हो चुका है, उनको किसी तरह के दस्तावेज की जरूरत नहीं है। इसके चलते करीब 60 फीसदी यानी 4.96 करोड़ वोटर्स को कोई दस्तावेज नहीं देना होगा।
चुनाव आयोग के मुताबिक, बिहार में कुल 7 करोड़ 80 लाख 22 हजार 933 मतदाता हैं।
वोटर्स वेरिफिकेशन से पहले ही बाहर हैं- 4.96 करोड़
वोटर्स वेरिफिकेशन प्रोसेस में शामिल हैं- 2.93 करोड़।