BSP on 130th Constitutional Amendment Bill: संसद के मानसून सत्र के दौरान बुधवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा में 130वां संविधान संशोधन विधेयक पेश किया, जिस पर विपक्ष ने जमकर हंगामा किया। अब इस विधेयक पर बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने गुरुवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘X’ पर एक बयान में कहा है कि उनकी पार्टी इस बिल से सहमत नहीं है। उन्होंने आशंका जताई है कि इस कानून का भविष्य में दुरुपयोग हो सकता है।
पूर्व सीएम ने बयान जारी करते हुए कहा- ‘केंद्र सरकार द्वारा कल संसद में, भारी हंगामे के बीच लाया गया 130वां संविधान संशोधन बिल, देश में पिछले कुछ वर्षों से चल रहे राजनैतिक हालात में, यह स्पष्टतः लोकतंत्र को कमज़ोर करने वाला लगता है और इसका सत्ताधारी पार्टियाँ अपने-अपने लाभ, स्वार्थ व द्वेष में ज्यादातर इसका दुरुपयोग ही करेंगी, ऐसी जनता को आशंका। अतः इस बिल से हमारी पार्टी कतई भी सहमत नहीं है। सरकार इसे देश के लोकतंत्र एवं संविधान के हित में जरूर पुनर्विचार करे तो यह उचित होगा।’
केन्द्र सरकार द्वारा कल संसद में, भारी हंगामे के बीच लाया गया 130वाँ संविधान संशोधन बिल, देश में पिछले कुछ वर्षों से चल रहे राजनैतिक हालात में, यह स्पष्टतः लोकतंत्र को कमज़ोर करने वाला लगता है और इसका सत्ताधारी पार्टियाँ अपने-अपने लाभ, स्वार्थ व द्वेष में ज्यादातर इसका दुरुपयोग…
— Mayawati (@Mayawati) August 21, 2025
विधेयक में क्या है? | BSP on 130th Constitutional Amendment Bill
गृह मंत्री अमित शाह ने विपक्ष के विरोध और हंगामे के बीच सदन में ‘संविधान (130वां संशोधन) विधेयक, 2025’, ‘संघ राज्य क्षेत्र शासन (संशोधन) विधेयक, 2025’ और ‘जम्मू कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक, 2025’ पेश किए। बाद में उनके प्रस्ताव पर सदन ने तीनों विधेयकों को संसद की संयुक्त समिति को भेजने का निर्णय लिया।
विधेयकों के उद्देश्यों और कारणों में कहा गया है कि कोई मंत्री जो गंभीर दंडनीय अपराधों के आरोप का सामना कर रहा है, उसे गिरफ्तार किया जाता है और हिरासत में रखा जाता है तो वह संवैधानिक नैतिकता के मापदंडों तथा सुशासन के सिद्धांतों को विफल कर सकता है या उनमें बाधा डाल सकता है और अंतत: लोगों द्वारा उसमें जताए गए विश्वास को कम कर सकता है। इसके अनुसार ऐसे मंत्री को हटाए जाने के लिए संविधान के अधीन कोई उपबंध नहीं है जो गंभीर दंडनीय आरोपों के तहत गिरफ्तार किया जाता है।