दिवालिया हुआ परिवार तो मुंबई के चॉल में रहने को मजबूर हुआ ये एक्टर, एक कॉन्ट्रैक्ट ने बदल कर रख दी जिंदगी

नई दिल्ली:

फिल्म इंडस्ट्री के हर दौर में कुछ चेहरे ऐसे होते हैं जो चमक-दमक से नहीं, बल्कि अपने सादगीभरे अंदाज से दर्शकों के दिलों में उतर जाते हैं. 1960 के दशक की बात करें तो उस वक्त बड़े सितारे फिल्मों के लिए संघर्ष कर रहे थे, लेकिन एक मासूम सा चेहरा पर्दे पर आया, जिसने बिना किसी शोर-शराबे के अपनी गहरी छाप छोड़ी. वह चेहरा था सुशील कुमार का…मुंबई की एक चॉल से निकलकर फिल्मी पर्दे तक का उनका सफर काफी प्रेरणादायक है. उनकी ‘धूल का फूल’, ‘काला बाजार’ और खासकर ‘दोस्ती’ जैसी फिल्मों को आज भी पसंद किया जाता है. उनके करियर में सुनहरा मोड़ उस वक्त आया, जब उन्हें राजश्री प्रोडक्शंस से तीन साल का कॉन्ट्रैक्ट ऑफर हुआ, जो उस दौर में हर उभरते कलाकार का सपना हुआ करता था.

सुशील कुमार की जिंदगी किसी फिल्मी पटकथा से कम दिलचस्प नहीं है. उनका जन्म 4 जुलाई, 1945 को कराची में एक सिंधी परिवार में हुआ था. देश के बंटवारे के वक्त उनका परिवार हिंदुस्तान आ गया, उस वक्त उनकी उम्र ढाई साल थी. उनका परिवार पहले गुजरात के नवसारी शहर में रहने लगा, लेकिन यहां बिजनेस कुछ खास नहीं चल सका, जिसके बाद 1953 में वह मुंबई के महिम इलाके में चले गए. यहां उनके दादाजी को बिजनेस में बड़ा घाटा हुआ और वह दिवालिया हो गए. पूरा परिवार मुंबई की चॉल में रहने लगा.

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